Prompt for MidJourney:
देवी नारायणी और भगवान नारायण की छवियों के दोनों हिस्सों को ऐसे मिलाएं जिससे वे अर्धनारीश्वर रूप में नजर आएं। दोनों दिव्य सुंदरता को एकत्रित करते हुए उनके संयोग से उत्पन्न होने वाली इस मूर्ति का वर्णन करें।
फोटोग्राफ़ी शैली: यह तस्वीर आधुनिक और शानदार होनी चाहिए। इसमें अंग्रेजी कलर ग्रेडिंग के साथ एक भारतीय फोटोग्राफी शैली का उपयोग किया जा सकता है।
टोन: टोन प्रोफेशनल होना चाहिए। छवि में गंभीरता और दिव्यता का आभास होना चाहिए।
वस्तु: भगवान नारायण माता नारायणी के साथ अर्धनारीश्वर रूप में दिखाई देना चाहिए।
क्रिया: वे एक दूसरे के संग जुड़े हुए होने चाहिए और उनके साथ उनके हाथों में अपने सम्पूर्ण सामर्थ्य का प्रतीक लेने वाला उनका वाहन गरुड़ भी होना चाहिए।
चित्र में देवी नारायणी और भगवान नारायण की छवियों को संयोजित करते हुए, उनके दोनों आकृतियों को एक दूसरे के साथ मिलाकर एक दिव्य रूप बनाया जाना चाहिए। इस आराधनारीश्वर रूप में, देवी नारायणी की छवि शरीर के बाएं तरफ होनी चाहिए, जबकि भगवान नारायण की छवि उसके दाहिने तरफ होनी चाहिए।
देवी नारायणी का शरीर चन्द्रमा जैसा होना चाहिए और उसके सिर पर जुड़े हुए जटाओं का एक कमल फूल के रूप में दिखाई देना चाहिए। उसके सिर पर अर्ध चंद्रमा जैसी खूबसूरत ज्योतियां होनी चाहिए। उसकी आंखों में दो मोती जैसी मांगें होनी चाहिए और उसके कानों में कुण्डल होना चाहिए।
भगवान नारायण की छवि मुख्य रूप से मांसपेशियों और मुख के आकार के लिए प्रसिद्ध होनी चाहिए। उसके बाएं हाथ में शंख और दाहिने हाथ में चक्र होना चाहिए। उसके शिरोमध्य में मकर संकेत होना चाहिए।
इस आराधनारीश्वर रूप में, देवी नारायणी और
भगवान नारायण एक-दूसरे से बढ़कर जुड़े हुए होने चाहिए। उनके दोनों हाथ एक साथ उठे होने चाहिए, जिससे यह प्रतीत हो कि वे एक दूसरे का सहारा बनाए हुए हैं।
इस चित्र का फोटोग्राफिक स्टाइल पूर्णता और शांति को दर्शाना चाहिए। चित्र में उज्ज्वल रंगों का उपयोग करना चाहिए जो इसे दिव्यता की ओर खींचते हैं।
टोन की दृष्टि से, यह चित्र आध्यात्मिकता और भक्ति के भाव को दर्शाना चाहिए। यह दिव्य चित्र लोगों के मन में चैतन्य जागृत करना चाहिए जो उन्हें भगवान की उपस्थिति में ले जाए।